Monday, 7 October 2013
Thursday, 3 October 2013
बेजुबां
इन आखोंने रोते हुए जिसका इंतेझार किया
बेजुबां हो गये हम जब वह यार ना आया !!
p, राहोंमे उनके काटे थे बीछे हुए
जुदाई के आसू थे तकदीर मे लिखे हुए
इस तकदीर को देख दुश्मन भी था रोया
बेजुबां हो गये हम जब वह यार ना आया !!
कोशिशे की हझार उनसे मिलने कि हमने
दूर होकर भी पास उनको रक्खा था दिलने
पर बढती दुरीयोंका हल मिल ना पाया
बेजुबां हो गये हम जब वह यार ना आया !!
वो कह गए अलविदा उसमे भी थी नजाकत
न तनहाई की आहट न बिछडने कि थी रुक्सत
जहर का वह जाम उन्होने हसकर था पिलाया
बेजुबां हो गये हम जब वह यार ना आया !!
आसू बहाने का नही जुदाई का था गम
खत्म हुआ था वह प्यार बिछडा था वह सनम
जिनकी कदमों मे हमने यह दिल था बिछाया
बेजुबां हो गये हम जब वह यार ना आया !!
प्रसन्न
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