Tuesday 28 July 2015

ताले


कुछ ताले आजभी लगे हुए है
जहाँ दफनाए थे कुछ गम
कुछ सुनी यादेँ
वो उदास लम्हें
कुछ उम्मीदे है ऐसी जो पूरी न हो सकी
कुछ सपने भी है ऐसे जो बिखर चुके है
कुछ ताले आजभी लगे हुए है

और जिसमे है कुछ तस्वीरें,
तस्वीरें उन पलोंकी जो गुजर चुके थे
वो लोग है जिनके हम हुए
पर वो  हमारे न हो पाए
उसमे उस बेवफा का नाम भी शामिल है
वो दरवाजे अब बंद हो चुके है
वो ताले आज भी लगे हुए है

पर है कुछ ताले ऐसे भी जिन्हे खोलने की ख्वाइश है
जिसमे बंद है वो मुस्तक़्बिल मनसुबें
वो बेइन्तहा मोहोब्बत
कामयाबी की वो बुलंदियां
उसमे है वो इत्मिनान जिसे पाने की कोशिश है
वो दरवाजे मैं खोलना चाहता हूँ
पर कुछ ताले आजभी लगे हुए है

 - प्रसन्न

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